डॉ. अभिलक्ष लिखी, मत्स्यपालन विभाग सचिव,आईसीएआर- सीफा का दौरा किया

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डॉ. अभिलक्ष लिखी, आईएएस, , सचिव (मत्स्यपालन), मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार ने 16 अगस्त 2023 को आईसीएआर -सीफा का दौरा किया और जलकृषि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ संवाद किया। इस दौरान निदेशक डॉ. पी. के. साहू ने आईसीएआर -सीफा द्वारा किये जा रहे प्रौद्योगिकी विकास और उनके व्यावसायीकरण के प्रयासों से अवगत कराया। उन्होंने प्रौद्योगिकी प्रदर्शन के माध्यम से किसान नेटवर्क निर्माण को भी उल्लेखित किया। एनएफडीबी के वरिष्ठ कार्यकारी डॉ. एम. के. सिन्हा ने एनएफडीबी-एनएफएफबीबी, कौशल्यगंगा में संचालित मत्स्यपालन से सम्बंधित गतिविधियों पर प्रकाश डाला। साथ ही श्री सादिक आलम, आईएएस, निदेशक, मात्स्यिकी, ओडिशा सरकार ने राज्य में मत्स्यपालन और जलकृषि क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और प्रगति का ब्यौरा प्रस्तुत किया। सचिव डॉ. लिखी, आईएएस ने मछली चारा उत्पादन, सी-फ़ूड निर्यात, उन्नत मत्स्य प्रजातियों के मल्टीप्लायर इकाई से जुड़े कई उद्यमियों, बायोफ्लॉक लाभार्थियों, स्वयं सहायता समूहों और किसान क्लब के साथ बातचीत की। सभी उद्यमियों ने इनपुट की कीमतों में वृद्धि के बारे में अपनी राय दी। इस दौरान हितधारकों ने प्रौद्योगिकी हैंड-होल्डिंग और लिंकेज के माध्यम से आईसीएआर-सीफा द्वारा किसानों हेतु किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। इसके अलावा पद्मश्री बटकृष्ण साहू ने राज्य के खोर्धा जिले में मत्स्यपालन में हुई प्रगति से अतिथियों को अवगत कराया। डॉ. लिखी ने नई तकनीकों को अंतिम उपयोगकर्ताओं तक ले जाने के लिए आईसीएआर संस्थानों और राज्य सरकार द्वारा मिलकर काम करने पर बल दिया। उन्होनें ये भी उल्लेखित किया कि एंड-टू-एंड वैल्यू चेन (बीज से बाजार तक) हेतु अनुसंधान व विकास संस्थानों और सरकार द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए, ताकि मत्स्य पालकों द्वारा इन तकनीकों को बेहतर ढंग से अपनाने में सहूलियत मिले। कार्यक्रम के दौरान उन्होनें निम्नलिखित सिफारिशें दीं:

  • सजावटी मछली और मोती पालन विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर हितधारकों के साथ परामर्श कार्यक्रम आयोजित करना।
  • उन्नत किस्मों और बायोफ्लॉक तकनीक पर हितधारकों और विशेष रूप से महिलाओं को कौशल प्रदान करना।
  • एक्वापोनिक्स तकनीक को और अधिक उन्नत बनाना।
  • आइओटी और एआई आधारित सटीक जलकृषि परियोजनाओं पर विशेष ध्यान और उनका विस्तार।

बैठक के उपरांत उन्होंने उन्नत किस्मों (रोहू और कतला), बायोफ्लॉक प्रदर्शन इकाई, सजावटी मछली इकाई, कैटफ़िश प्रजनन इकाई और मर्रेल बीज उत्पादन इकाई जैसी सुविधाओं का दौरा किया। उन्होंने कैटफ़िश प्रजनन इकाई में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आये प्रशिक्षुओं के साथ भी बातचीत की।

इस कार्यक्रम का समन्वय डॉ. जे. के. सुंदराय, प्रमुख, मत्स्य-आनुवंशिकी व जैव प्रौद्योगिकी प्रभाग, आईसीएआर-सीफा ने किया।

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